Wednesday, 27 February 2019


"जिस दिन जहन आज़ाद हो जाएगा-मनुवाद और ब्रह्मंवादियो की दुकाने बंद हो जाएगी.."
शरीर की गुलामी से आसानी से मुक्ति मिल जाती हे..
लेकिन मानसिक गुलामी से आज़ाद होने में सदियाँ लगती है....
ब्राह्मणवादी एवं मनुवादियों की संख्या गिनती की हे...
पर उन्हें समर्थन करने वाले और पोषक तत्वों की संख्या अनगिनत हे...
और यह एक कडवा सच हे की 80% मूलनिवासी(दलित-आदिवासी-पिछड़े) आज भी मानसिक रूप से मनुवादियों के गुलाम हैं..
इश्वर-भय से कर्मकांड-पाखण्ड-कुरीतियों-शकुन-अपशकुन आदि करने में सबसे आगे हम ही हैं...
क्या वजह हे की मनुवाद-ब्राह्मणवाद की दुकाने आज भी चल रही हे..
मंदिरों-मस्जिदों-गिरिजाघरो की संख्या बढ़ी ही हे घटी नहीं...
कोर्पोरेट कंपनियों की तरह मंदिरों-मस्जिदों का भी सालाना टर्नओवर निकलने लगा हे..
चढ़ावे के नाम पे काला धन सफ़ेद में बदला जा रहा हे....
और इश्वर के दलाल फल फूल रहे हैं... मनुवाद का कद बढ़ ही रहा हे...
इसका सिर्फ और सिर्फ एक कारण हे....
हम आज भी मानसिक गुलाम हैं.. सामाजिक बेड़ियाँ तोड़ दी गयी हैं...
पर जहन आज भी उन बेड़ियों में जकड़ा हुआ हे...
इश्वर-भय लाजमी हे.. पर उसके निवारण के लिए कर्मकांड का सहारा लेना मूर्खता हे..
आपके हाथ-पैर, आपका समाज काफी हद तक आज़ाद हे...
बस जरुरत हे तो अपनी सोच-अपने जहन को आज़ाद करने की....
भगवन के डर से बचने के लिए पाखण्ड-कर्मकांड का सहारा न लेने की...
जिस दिन जहन आज़ाद हो जाएगा-मनुवाद और ब्रह्मंवादियो की दुकाने बंद हो जाएगी..

No comments:

Post a Comment