बलि या क़ुरबानी
कितना सही कितना गलत,कुछ
सच्चाई है या फिर
अंधविश्वास------
बलि या कुर्वानी हिंदू और
मुस्लिम समाज का अभिन्न अंग
रहा है दोनों समाज सदियोँ से
इसे सही ठहराते आये है ,चालिए
आज दोनों का नंबर एक साथ
लगा देते है वरना मुझ पर पक्षपात
का आरोप लगेगा ,पोस्ट
को रुचिकर बनाने के लिए मुद्दे से
भटकना भी जरुरी है पर
इतना विस्वास रखिये सच्चाई से
नहीं भटका जायेगा ,सबसे पहले
हिंदू समाज में बलि प्रथा पर
प्रकाश डालते है फिर मुस्लिम
समाज की क्लास
ली जायेगी ---
हिंदू समाज में बलि प्रथा -----
हिंदू समाज में
बलि प्रथा सदियों से
चली आयी है अब मुझे
ना तो बलि प्रथा का डिटेल
इतिहास पता है और
पता भी होता तो बता कर
आपको पकाना नहीं चाहता,बस
इतना पता है लोग देवी/देवताओ
को प्रसन्न करने के लिए निर्दोष
जानबरों की बलि दिया करते थे
अब भी दिया करते है पर इस
प्रथा में कमी आई है क्यूँ कि अब
अकल नाम की बस्तु का विकास
हो गया है और लोगों को समझ
आने लगा है बलि से कोई भगवान
प्रसन्न नहीं होते वो तो कुछ
पाखंडियों ने अपने लाभ के लिए
ऐसी प्रथा बना दी थी जिसका लोगों ने
आँखें बंद करके विस्वास कर
लिया और इस प्रथा को आगे
बढ़ाते गये ,वैसे भी हिंदू समाज
अंधविश्वासों की पोटली रहा है
सभी प्रकार के अंधविस्वास
यहाँ पाए जाते थे समय के साथ
और अकल के उदय के साथ कुछ
तो विलुप्त हो गये और कुछ अब
भी वाकी है ,आप अब भी पिछड़े
हुये एरिया में चले जाएये अब
भी निर्दोष
जानबरों की बलि दी जाती है
जब की विकसित एरिया में
ऐसा बहुत कम देखने को मिलता है
मतलव साफ़ है बलि से कोई
देवी देवता प्रसन्न
नहीं होता अगर प्रसन्न
होता तो सभी विकसित देश
रोज बकरे-मुर्गे कटवाते .
मुस्लिम समाज और
कुर्वानी ------बदलाव
ही प्रक्रति का नियम है,मजबूत
से मजबूत किले में मरम्मत कि जरुरत
होती है अगर मरम्मत
नहीं होगी तो किला ढह
जायेगा और जो समय के साथ
बदलाव
नहीं लाएगा वो विकास
की विकास की दौड़ में पीछे रह
जायेगा उदहारण के लिए
सभी मुस्लिम समाज और मुस्लिम
देशों को देख लीजिए कुछ
देशो को छोड़ दिया जाये
जो तेल की अधिकता के कारण
अमीर हैं .
मुस्लिम समाज में बलि का बहुत
महत्ब है पर सिर्फ बातों में और
किताबों में इसके
आलावा किसी को सच
जानना भी नहीं है सब लकीर
की फ़कीर के राह पर चलते है ,अरे
मिया अगर बलि से खुदा प्रसन्न
हो जाते तो भारत और विश्व के
मुस्लिम इतने पिछड़े क्यूँ होते ???
एक निर्दोष जानबर की हत्या से
खुदा कैसे प्रसन्न हो सकते है अगर
हो सकते है वर्ल्ड कप और
सभी मेडल सभी मुस्लिम देश
बटोर कर ले
जाते ,कितना भी लिख
लो रिजल्ट धाक के तीन पात
रहेगा क्यूँ की जिस समाज में
गलती को स्वीकार करने
की इजाजत नहीं है वो बदलाव
कैसे करेगा ,बदलाव
नहीं होगा तो पिछड़ापन
होगा जैसा हो रहा है,कोई
भी धर्म या मजहब १०० % परफेक्ट
नहीं होता समय के साथ बदलाव
की जरुरत होती है,एक कड़वा सच
है कोई भी मुस्लिम आज के समय में
इस्लाम के सारे नियम नहीं मान
सकता लिखने के लिए बहुत कुछ
नहीं पोस्ट विवादित
हो जायेगा,क़ुरबानी का मीन्स
बुराइयों को कुर्वान करना है
ना की निर्दोष जानबर
की बिना कारण
हत्या करना है .
बलि /कुर्वानी हिंदू समाज में
दी जा रही हो या मुस्लिम
समाज में सिर्फ
अंधविश्वास,पिछड़ाप
न ,नासमझी ,जीव-हत्या और
पाप है ,जो लोग इसे सही मानते
है वो देवताओ
या खुदा को प्रसन्न करने के लिए
अपने बच्चों की बलि दें इससे
वो और जल्दी प्रसन्न हो जायेंगे
अब बलि /कुर्वानी का सपोर्ट
करने वालों को सांप सूंघ
जायेगा या लकवा मार
जायेगा.
कोई
भी कितना ही ज्ञानी हो बुद्धिमान
हो और कही भी लिखी हुई बात
पर आँखें बंद करके विस्वास मत
कीजिए क्यूँ की भगवान/खुदा ने
सबको दिमाग ,आख ,कान,नाक
दी हैं सिर्फ सही से इस्तिमाल
करने के लिए किसी बेगुनाह
की मौत से सिर्फ
हत्या होती है कोई लाभ
नहीं होता अगर कोई लाभ
होता तो रिजल्ट सामने आते
रहते .
सच्चाई है या फिर
अंधविश्वास------
बलि या कुर्वानी हिंदू और
मुस्लिम समाज का अभिन्न अंग
रहा है दोनों समाज सदियोँ से
इसे सही ठहराते आये है ,चालिए
आज दोनों का नंबर एक साथ
लगा देते है वरना मुझ पर पक्षपात
का आरोप लगेगा ,पोस्ट
को रुचिकर बनाने के लिए मुद्दे से
भटकना भी जरुरी है पर
इतना विस्वास रखिये सच्चाई से
नहीं भटका जायेगा ,सबसे पहले
हिंदू समाज में बलि प्रथा पर
प्रकाश डालते है फिर मुस्लिम
समाज की क्लास
ली जायेगी ---
हिंदू समाज में बलि प्रथा -----
हिंदू समाज में
बलि प्रथा सदियों से
चली आयी है अब मुझे
ना तो बलि प्रथा का डिटेल
इतिहास पता है और
पता भी होता तो बता कर
आपको पकाना नहीं चाहता,बस
इतना पता है लोग देवी/देवताओ
को प्रसन्न करने के लिए निर्दोष
जानबरों की बलि दिया करते थे
अब भी दिया करते है पर इस
प्रथा में कमी आई है क्यूँ कि अब
अकल नाम की बस्तु का विकास
हो गया है और लोगों को समझ
आने लगा है बलि से कोई भगवान
प्रसन्न नहीं होते वो तो कुछ
पाखंडियों ने अपने लाभ के लिए
ऐसी प्रथा बना दी थी जिसका लोगों ने
आँखें बंद करके विस्वास कर
लिया और इस प्रथा को आगे
बढ़ाते गये ,वैसे भी हिंदू समाज
अंधविश्वासों की पोटली रहा है
सभी प्रकार के अंधविस्वास
यहाँ पाए जाते थे समय के साथ
और अकल के उदय के साथ कुछ
तो विलुप्त हो गये और कुछ अब
भी वाकी है ,आप अब भी पिछड़े
हुये एरिया में चले जाएये अब
भी निर्दोष
जानबरों की बलि दी जाती है
जब की विकसित एरिया में
ऐसा बहुत कम देखने को मिलता है
मतलव साफ़ है बलि से कोई
देवी देवता प्रसन्न
नहीं होता अगर प्रसन्न
होता तो सभी विकसित देश
रोज बकरे-मुर्गे कटवाते .
मुस्लिम समाज और
कुर्वानी ------बदलाव
ही प्रक्रति का नियम है,मजबूत
से मजबूत किले में मरम्मत कि जरुरत
होती है अगर मरम्मत
नहीं होगी तो किला ढह
जायेगा और जो समय के साथ
बदलाव
नहीं लाएगा वो विकास
की विकास की दौड़ में पीछे रह
जायेगा उदहारण के लिए
सभी मुस्लिम समाज और मुस्लिम
देशों को देख लीजिए कुछ
देशो को छोड़ दिया जाये
जो तेल की अधिकता के कारण
अमीर हैं .
मुस्लिम समाज में बलि का बहुत
महत्ब है पर सिर्फ बातों में और
किताबों में इसके
आलावा किसी को सच
जानना भी नहीं है सब लकीर
की फ़कीर के राह पर चलते है ,अरे
मिया अगर बलि से खुदा प्रसन्न
हो जाते तो भारत और विश्व के
मुस्लिम इतने पिछड़े क्यूँ होते ???
एक निर्दोष जानबर की हत्या से
खुदा कैसे प्रसन्न हो सकते है अगर
हो सकते है वर्ल्ड कप और
सभी मेडल सभी मुस्लिम देश
बटोर कर ले
जाते ,कितना भी लिख
लो रिजल्ट धाक के तीन पात
रहेगा क्यूँ की जिस समाज में
गलती को स्वीकार करने
की इजाजत नहीं है वो बदलाव
कैसे करेगा ,बदलाव
नहीं होगा तो पिछड़ापन
होगा जैसा हो रहा है,कोई
भी धर्म या मजहब १०० % परफेक्ट
नहीं होता समय के साथ बदलाव
की जरुरत होती है,एक कड़वा सच
है कोई भी मुस्लिम आज के समय में
इस्लाम के सारे नियम नहीं मान
सकता लिखने के लिए बहुत कुछ
नहीं पोस्ट विवादित
हो जायेगा,क़ुरबानी का मीन्स
बुराइयों को कुर्वान करना है
ना की निर्दोष जानबर
की बिना कारण
हत्या करना है .
बलि /कुर्वानी हिंदू समाज में
दी जा रही हो या मुस्लिम
समाज में सिर्फ
अंधविश्वास,पिछड़ाप
न ,नासमझी ,जीव-हत्या और
पाप है ,जो लोग इसे सही मानते
है वो देवताओ
या खुदा को प्रसन्न करने के लिए
अपने बच्चों की बलि दें इससे
वो और जल्दी प्रसन्न हो जायेंगे
अब बलि /कुर्वानी का सपोर्ट
करने वालों को सांप सूंघ
जायेगा या लकवा मार
जायेगा.
कोई
भी कितना ही ज्ञानी हो बुद्धिमान
हो और कही भी लिखी हुई बात
पर आँखें बंद करके विस्वास मत
कीजिए क्यूँ की भगवान/खुदा ने
सबको दिमाग ,आख ,कान,नाक
दी हैं सिर्फ सही से इस्तिमाल
करने के लिए किसी बेगुनाह
की मौत से सिर्फ
हत्या होती है कोई लाभ
नहीं होता अगर कोई लाभ
होता तो रिजल्ट सामने आते
रहते .
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