डाँ भिमराव अम्बेडकर जो कि संविधान सभामे सिर्फ ईसलिए जाना चाहते थे कि वे अपने लोगोंकि हितोंकि रक्षा कर सके ; पर बादमे परिस्थितीतियोंका चक्र कुछ ऐसे घुमा कि जो आदमी सिर्फ अपने लोगोंकि हितोंकि रक्षाके लिए संविधान सभामे जाना चाहता था बाद मे उसिने भारतके समस्त लोगोंके मुक्ति का डाँक्युमेंट( संविधान )लिख डाला ....
बल्कि अम्बेडकरजीको खुद ये उम्मीद नहि थी कि वे सविंधान सभा मे चुने जायेंगे ,क्योंकि 1946 का माहौल हि कुछ ऐसा था कि एक तरफ अम्बेडकर खिलाफ सारा भारत था पर उस जमानेमे भारत कि घटना लिख सके ऐसा उनके जैसा कोई और प्रकांड पंडित न होनेकि वजहसे मजबुरन काँग्रेसको उनको घटना समिती पर आमंत्रित करना पडा और अकेले घटना लिखकर उन्होने ये साबित भी किया कि उनका चयन गलत नहि था...
26 जनवरि 1950 तक मैं सर्टिफाईट अछुत था पर बाबासाहेबजी के ईस संविधानने मुझे नयी पहचान दि ! कि तुम भारत के नागरिक हो ....तुम भारत के सार्वभौम हो ..सारे पोलिटिकल स्रोत तुमसे उपजते है.. ईसलिए तुम भारतके मालिक हो ....सविंधान ने मुझे बराबरी का मौका दिया .....
हमारि औरतो को पितल के गहने तक पहनने कि ईजाजत नहि थी ,केरल मे हमारि औरते को ब्लाऊस पहनने कि ईजाजत नहि थी , पर सविंधान ने आज सबको बराबरि का मौका दिया ...
आज जो हम यहाके मंत्री और राष्ट्रपती को हमारे शासक मानते है वास्तव मे वो हमारे सेवक है...
यकीन ना आये तो लाल किलेसे दिया हुआ प्रधानमंत्री नेहरु का पहला भाषण पढीए वो ये नहि कहते कि मै भारत का राजा हू वो ये कहते है कि मै भारत का प्रथम सेवक हु ....
क्या आप जाके अपने कलेक्टर को कह सकते है कि "यु आर माय सर्वँट सर बिकाझ आयम पेईग यु" मै भारत का नागरिक हु और मै टँक्स पेयर हु मै टँक्स अदा करता हु तभी आपको तनखा मिलती है... मजाल है कलेक्टर कि वो ना कह सके ? ये अधिकार संविधानने हमे दिये है पर संविधान हमतक ना पहुचने कि वजह से हम आज भी ईन लोगोको हमारे शासक मानते है ....
जो सरकारि संस्थाये सरकारसे अनुदान प्राप्त करती है वो कोईभी धार्मिक कार्यक्रम तो आयोजित कर सकती है पर उसमे उपस्थिती अनिवार्य नहि कर सकती ; ईसलिए संविधान का हर नागरिक तक पहुचना बहोत जरुरि है तभी हम सही मायनेमे भारतीय कहलायेंगे....
"ऐतिहासिक घटना ये भी कहि जा सकती है की स्वतंत्र भारतके लिए एक अछुत जातीमे जन्मे हुए व्यक्तिने घटना लिख के दि ये यहाँ पर उल्लेखनीय है"
हमारा संविधान सर्वोच्च है क्योंकी ये "One man ; One vote ; One value" याने के "एक व्यक्ती ; एक वोट ; एक मुल्य" का समर्थन करता है ..
उस राज्य घटनाके अनुसार देश कि सर्वोच्च व्यक्ति राष्ट्रपती को भी एक वोट डालने का अधिकार है और उस राष्ट्रपतीके दरवाजेपर खडे होनेवाले चपरासीकोभी एकहि वोट डालने अधिकार है... और असली सत्ता आम आदमीके हाथ मे रखी गयी है ;और वो चपरासी भी राष्ट्रपतीको कह सकता है कि आप मेरे सेवक है क्योकी मैने चुने हुए सांसदोने आपको चुना है ईसका मतलब अप्रत्याक्षिक रुप से मैने ही आपको चुना है ये हमारी राज्यघटनाका सबसे बडा वैशिष्ट्य कहा जायेगा ...
समता , स्वातंत्र्य , बंधूता और न्याय पर आधारित हमारा संविधान विश्व में सर्वोत्तम है और ये हमे डॉ बाबासाहेब अम्बेडकरजी की देन है ....
जय भीम ! जय भारत ! जय संविधान !
बल्कि अम्बेडकरजीको खुद ये उम्मीद नहि थी कि वे सविंधान सभा मे चुने जायेंगे ,क्योंकि 1946 का माहौल हि कुछ ऐसा था कि एक तरफ अम्बेडकर खिलाफ सारा भारत था पर उस जमानेमे भारत कि घटना लिख सके ऐसा उनके जैसा कोई और प्रकांड पंडित न होनेकि वजहसे मजबुरन काँग्रेसको उनको घटना समिती पर आमंत्रित करना पडा और अकेले घटना लिखकर उन्होने ये साबित भी किया कि उनका चयन गलत नहि था...
26 जनवरि 1950 तक मैं सर्टिफाईट अछुत था पर बाबासाहेबजी के ईस संविधानने मुझे नयी पहचान दि ! कि तुम भारत के नागरिक हो ....तुम भारत के सार्वभौम हो ..सारे पोलिटिकल स्रोत तुमसे उपजते है.. ईसलिए तुम भारतके मालिक हो ....सविंधान ने मुझे बराबरी का मौका दिया .....
हमारि औरतो को पितल के गहने तक पहनने कि ईजाजत नहि थी ,केरल मे हमारि औरते को ब्लाऊस पहनने कि ईजाजत नहि थी , पर सविंधान ने आज सबको बराबरि का मौका दिया ...
आज जो हम यहाके मंत्री और राष्ट्रपती को हमारे शासक मानते है वास्तव मे वो हमारे सेवक है...
यकीन ना आये तो लाल किलेसे दिया हुआ प्रधानमंत्री नेहरु का पहला भाषण पढीए वो ये नहि कहते कि मै भारत का राजा हू वो ये कहते है कि मै भारत का प्रथम सेवक हु ....
क्या आप जाके अपने कलेक्टर को कह सकते है कि "यु आर माय सर्वँट सर बिकाझ आयम पेईग यु" मै भारत का नागरिक हु और मै टँक्स पेयर हु मै टँक्स अदा करता हु तभी आपको तनखा मिलती है... मजाल है कलेक्टर कि वो ना कह सके ? ये अधिकार संविधानने हमे दिये है पर संविधान हमतक ना पहुचने कि वजह से हम आज भी ईन लोगोको हमारे शासक मानते है ....
जो सरकारि संस्थाये सरकारसे अनुदान प्राप्त करती है वो कोईभी धार्मिक कार्यक्रम तो आयोजित कर सकती है पर उसमे उपस्थिती अनिवार्य नहि कर सकती ; ईसलिए संविधान का हर नागरिक तक पहुचना बहोत जरुरि है तभी हम सही मायनेमे भारतीय कहलायेंगे....
"ऐतिहासिक घटना ये भी कहि जा सकती है की स्वतंत्र भारतके लिए एक अछुत जातीमे जन्मे हुए व्यक्तिने घटना लिख के दि ये यहाँ पर उल्लेखनीय है"
हमारा संविधान सर्वोच्च है क्योंकी ये "One man ; One vote ; One value" याने के "एक व्यक्ती ; एक वोट ; एक मुल्य" का समर्थन करता है ..
उस राज्य घटनाके अनुसार देश कि सर्वोच्च व्यक्ति राष्ट्रपती को भी एक वोट डालने का अधिकार है और उस राष्ट्रपतीके दरवाजेपर खडे होनेवाले चपरासीकोभी एकहि वोट डालने अधिकार है... और असली सत्ता आम आदमीके हाथ मे रखी गयी है ;और वो चपरासी भी राष्ट्रपतीको कह सकता है कि आप मेरे सेवक है क्योकी मैने चुने हुए सांसदोने आपको चुना है ईसका मतलब अप्रत्याक्षिक रुप से मैने ही आपको चुना है ये हमारी राज्यघटनाका सबसे बडा वैशिष्ट्य कहा जायेगा ...
समता , स्वातंत्र्य , बंधूता और न्याय पर आधारित हमारा संविधान विश्व में सर्वोत्तम है और ये हमे डॉ बाबासाहेब अम्बेडकरजी की देन है ....
जय भीम ! जय भारत ! जय संविधान !
बहुत बढ़िया लेख है सरजी सभी लोग जरूर पढ़े
ReplyDeleteजयभिम सर .बहोत ही अच्छी जानकारी
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